Friday, May 11, 2018

O Mighty Messenger

Long pending ambition of carving out feelings in the poetic way. 
Not my first one , but first one to be presented before everyone. 
The poem is inspired by “ Pen is mightier than sword” and the writer appeals to the powers of this “wordsmith” , to give words to his feelings and become his companion and his messenger…….

आज उठी कलम , जीवन लेखनी पर लिखने को तैयार खड़ी
क्या कलम तेरी स्याही में है इतना रंग बता ??
कि मेरे दिल के अक्स को,  छाप सके तू 
मेरे अाँसूंओं के दर्द से,  शब्दावली बना सके तू 
मेरी तन्हाई को , शब्दों का अस्तित्व दे सके तू
बता कलम , बता दे मुझे…..|
कैसे चित्रन करेगी , माँ के आँचल में सुनहरे लम्हों को
कैसे करेगी वर्णन , दादाजी के लाड़ और प्यार को
कैसे करेगी अंकित , बहन से हुई लड़ाईओं को
और कैसे करेगी व्याख्या , बाद में उसका मुझे मनाने को
बता कलम बता दे मुझे……..|
दोस्तों के संग हँसने को , बारिश में काग़ज़ी कश्ती के लड़ाने को
परीक्षा में सफ़ल होने पर , उस खुशी को 
और उस सफ़लता पर, पिताजी के सीना फूलने को 
करेगी कैसे बयाँ ……?
बता कलम बता दे मुझे……..|
बारिश में , माँ से पकवानों की ज़िद को 
उस भीनी मिट्टी की खुश्बू को
झुलस्ती काया पर पड़ती रिमझिम बूँदों को
आन्धी में एक दूसरे के हाथ के पकड़ने को
दे पाएगी आकार …?
बता कलम बता दे मुझे……..|
तू कर पाय , तो कर दे बयाँ
करूँगा तेरी वँदना, स्तुति ,ईश्वर समान 
ऐसा हो तो , लिख भेजूँ , उन्हें मेरे दिल का हाल
जो रूठ गये हैं ..दूर हो गये हैं मुझसे..
आज लेखनी से तेरी , करूँ उनका आह्वान​…
करेगी क्या मेरा इतना काम​..?
बता कलम बता दे मुझे……..

3 comments: